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तरंगों की रहस्यमयी दुनिया

भौतिकी की दुनिया: तरंगें (The World of Waves) तरंगों की रहस्यमयी दुनिया ऊर्जा के नृत्य से लेकर ब्रह्मांड के रहस्यों तक, आइए तरंगों के अद्भुत विज्ञान को गहराई से समझें। भाग 1: क्लासिकल तरंगें - भौतिकी का आधार भौतिकी की दुनिया में, **तरंग (Wave)** का विचार एक मौलिक स्तंभ की तरह है। जब हम तरंग की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में समुद्र की लहरें या तालाब में पत्थर फेंकने से बनी लहरें आती हैं। ये उदाहरण बिल्कुल सही हैं, लेकिन तरंग का असली मतलब इससे कहीं ज़्यादा गहरा है। सरल शब्दों में, यह एक ऐसी **विक्षोभ (disturbance)** है जो बिना पदार्थ का खुद एक जगह से दूसरी जगह गए, **ऊर्जा और संवेग (Energy and Momentum)** को स्थानांतरित करती है। डोमिनोज़ की एक लाइन की कल्पना करें - जब आप पहले डोमिनो को धक्का देते हैं, तो वह अपने आगे वाले को गिराता है और यह प्रक्रिया अंत तक चलती है। यहाँ ऊर्जा (धक्का) तो आगे बढ़ी, लेकिन हर डोमिनो अपनी ही जगह पर गिरा। तरंगें भी कुछ इसी तरह काम करती हैं। ...

प्रत्यावर्ती धारा जनित्र (कक्षा 12 भौतिक विज्ञान)

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प्रत्यावर्ती धारा जनित्र यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है  इसमें एक कुंडली होती है कुंडली का घूर्णन अच्छे चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत होता है कुंडली को ही आर्मेचर भी कहते हैं कुंडली के घूमने से इसमें चुंबकीय फ्लक्स परिवर्तित होता है इसमें कुंडली में विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है कुंडली के सिरो को सरपी वलय द्वारा ब्रश की  सहायता से एक बाहे परिपथ से जोड़ा जाता है

आलोक वृत्त खंड काव्य कक्षा 12

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प्रथम सर्ग- भारत का स्वर्णिम अतीत   1869 ईस्वी में महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था गांधीजी का व्यवस्थित इतना प्रभावशाली था कि समस्त दनवी एवं पाशविक शक्तियां भी इनके सामने टिक न सके ब्रिटिश शासन भी भयभीत हो गया गांधी जी ने अपने साहस और शक्तियों से शासन के अत्याचारों और दमन आत्मक कार्य से पीड़ित जनता को शक्ति प्रदान की गांधीजी के रूप में भारतीय जनता को नया जीवन स्रोत मिला | द्वितीय सर्ग- गांधीजी की प्रारंभिक जीवन युवा होने पर गांधी का विवाह कस्तूरबा से हो के साथ हो गया कुछ समय बाद उनके पिता का स्वर्गवास हो गया पिता की मृत्यु के समय गांधी जी उनके पास नहीं थे उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह इंग्लैंड चले गए उनकी माता को या डर लगता था कि उनका पुत्र विदेश में जाकर मांस मदिरा का सेवन ना करने लगे अतः विदेश जाने से पहले उन्होंने एक वचन लिया " माध मांस मदिराक्षी से बचने का शपथ दिलाकर  मां ने दी थी पुत्र को विदा मंगल तिलक लगाकर|" अपनी शिक्षा समाप्त कर गांधीजी स्वदेश लौटे तो उन्हें ज्ञात हुआ कि उनकी माता का स्वर्गवास हो गया है यह सुनकर उन्हें अत्यधिक कष्ट हुआ   तृ...

डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय class 12 th

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                डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म सन 1904 उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के खेड़ा ग्राम में हुआ था इनके माता-पिता लखनऊ में रहते थे अतः इनका बाल्यकाल लखनऊ में ही व्यतीत हुआ यही इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा की प्राप्ति की और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद ए में पीएचडी तथा डी लिट की उपाधि इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त की उन्होंने पॉली संस्कृत अंग्रेजी आदि भाषाओं एवं उनके साहित्य का गहन किया यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय भारतीय महाविद्यालय में पुरातत्व एवं प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष रहे वासुदेव शरण अग्रवाल दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय के अध्यक्ष भी रहे हिंदी की इस महान  विभूति का वर्ष 1966 में स्वर्गवास हो गया| साहित्यिक सेवाएं डॉ अग्रवाल लखनऊ और मथुरा के पुरातत्व संग्रहालय में निरीक्षक केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संचालक और राष्ट्रीय संग्रहालय दिल्ली के अध्यक्ष रहे कुछ काल तक  काशी हिंदू विश्वविद्यालय में इंडोलॉजी विभाग के अध्यक्ष भी रहे अग्रवाल ने मुख्य रूप से पुरातत्व को ही अपना विषय ...

UPSSSC PET Exam Important Instructions : पीईटी परीक्षा देने जा रहे है, तो रखें इन बातो का ध्यान

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  UPSSSC PET Exam Important Instructions   :  आगामी 15 और 16 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा प्रारंभिक आहर्ता परीक्षा का आयोजन किया जाना है। प्रदेश के लगभग 37 लाख अभ्यार्थियो ने इस परीक्षा के लिए फॉर्म भरा है। अगर आप पीईटी परीक्षा देने जा रहे है तो  हम आपको इस आर्टिकल में आयोग द्वारा जारी महत्त्वपूर्ण निर्देश( UPSSSC PET Exam Important Instructions)   के बारे में बताएँगे जिसे आपको परीक्षा केंद्र पर पहुँचने से पहले जानना अति आवश्यक अभ्यर्थी द्वारा परीक्षा केन्द्र का स्थान, परीक्षा तिथि व निर्धारित समय का भली-भाँति अवलोकन कर समझ लिया जाए। यह भी सूचित किया जाता है कि आवेदन पत्र में अंकित अर्हता / पात्रता की जांच आयोग द्वारा नहीं की गई है । अतः विज्ञापन में अर्हता / पात्रता को पढ़ कर अभ्यर्थी स्वयं सुनिश्चित हो लें और पूर्णतया पात्र होने की दशा में ही परीक्षा में सम्मिलित हों । आयोग द्वारा जांच करने पर यदि किसी भी स्तर पर अभ्यर्थी, अनर्ह / अपात्र पाये जाएगें, तो उसका अभ्यर्थन निरस्त कर दिया जाएगा । परीक्षा केन्द्र पर परीक्षा प्रारम्भ होने के निर्...

क्लोरोफॉर्म

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                    क्लोरोफॉर्म   क्लोरोफॉर्म की खोज 1831 में लिविंग और स्वीडन ने की थी क्लोरोफॉर्म के निर्माण की विधियां 1.विरंजक चूर्ण की क्रिया जल से कराने पर कैलशियम हाइड्रोकइड तथा क्लोरीन गैस बनती है CaOCl2+H2O -------------------- Ca(OH)2+Cl2 2.एथिल अल्कोहल का क्लोरीन की उपस्थिति में ऑक्सीकरण कराने पर स्टलडीहाइट तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल बनता है                         Cl2 C2H5OH  ------------------------CH3CHO+2HCL 3.स्टलडीहाइट का क्लोरीन की उपस्थिति में क्लोरीन ई करण कराने पर ट्राई क्लोरो स्टलडीहाइट बनता  है                           3Cl2 CH3CHO. --------------------------CCl3CHO+3HCL  4.ट्राई क्लोरोस्टलडीहाइट की लाइमवॉटर के साथ अभिक्रिया कराने पर क्लोरोफॉर्म प्राप्त होती है 2CCl3CHO+Ca(OH)2------------2CHCl3+(HCOO)2Ca  B.एसीटोन का क्लोरीन ई करण करने पर ट्राई क्लोरो एसीटोन प्राप्...